DCA NOTES

PRAVEEN SETHIYA

Education is smart enough to change the human mind positively!

इंटरनेट सूचना तकनीक की सबसे आधुनिक प्रणाली है। इंटरनेट को आप विभिन्न कंप्यूटर नेटवर्को का एक विश्व स्तरीय समूह (नेटवर्क) कह सकते है।  इस नेटवर्क में हजारों और लाखो कंप्यूटर एक दुसरे से जुड़े है। साधारणत: कंप्यूटर को टेलीफोन लाइन द्वारा इंटरनेट से जोड़ा (Connect) जाता है। लेकिन इसके अतिरिक्त बहुत भी बहुत से साधन है। जिसमे कंप्यूटर इंटरनेट से जुड़ सकता है।
इंटरनेट किसी एक कंपनी या सरकार के अधीन नही होता है, अपितु इसमें बहुत से सर्वर (Server) जुड़े हैं, जो अलग अलग संस्‍थाओं या प्रायवेट कंप‍नीयों के होते हैं। कुछ प्रचलित इंटरनेट सेवाएं जैस gopher, file transfer protocol, World wide web प्रयोग इंटरनेट मे जानकारीयॉं प्राप्‍त करने के लिए होता हैं। इंटरनेट को हम विश्‍वव्‍यापी विज्ञापन का माध्‍यम कह सकते हैं। किसी उत्पाद के बारे में विश्‍वस्‍तर पर सर्वेक्षण करने के लिए यह सबसे आसान एवं सस्‍ता माध्‍यम हैं। विभिन्‍न जानकारीयॉं जैसे रिपोर्ट, लेख, कम्‍प्‍यूटर आदि को प्रदर्शित करने का बहुत उपयोगी साधन हैं।
इन्टरनेट का इतिहास (History of Internet) 
मूलतः इन्टरनेट का प्रयोग अमेरिका की सेना के लिए किया गया था| शीत युद्ध के समय अमेरिकन सेना एक अच्छी, बड़ी, विश्वसनीय संचार सेवा चाहती थी | 1969 में ARPANET नाम का एक नेटवर्क बनाया गया जो चार कंप्यूटर को जोड़ कर बनाया गया था, तब इन्टरनेट की प्रगति सही तरीके से चालू हुई | 1972 तक इसमें जुड़ने वाले कंप्यूटर की संख्या 37 हो गई थी | 1973 तक इसका विस्तार इंग्लैंड और नार्वे तक हो गया | 1974 में Arpanet को सामान्य लोगो के लिए प्रयोग में लाया गया, जिसे टेलनेट के नाम से जाना गया | 1982 में नेटवर्क के लिए सामान्य नियम बनाये गए इन्हें प्रोटोकॉल कहा जाता है| इन प्रोटोकॉल को TCP/IP (Transmission control protocol/Internet Protocol) के नाम से जाना गया | 1990 में Arpanet को समाप्त कर दिया गया तथा नेटवर्क ऑफ नेटवर्क के रुप में इन्टरनेट बना रहा | वर्तमान में इन्टरनेट के माध्यम से लाखो या करोंड़ों कंप्यूटर एक दूसरे से जुड़े है | (VSNL) विदेश संचार निगम लिमिटेड भारत में इन्टरनेट के लिए नेटवर्क की सेवाए प्रदान करती है |


इन्टरनेट क्या हैं? (What is internet) image
Growth of Internet (इन्टरनेट का विकास) image
Growth of Internet (इन्टरनेट का विकास)
हाल के वर्षों में इंटरनेट का विस्तार इतनी तेजी से हुआ है कि पूरा संसार आश्चर्यचकित है वास्तव में इंटरनेट का विस्तार कंप्यूटर के विस्तार से जुड़ा हुआ है और कंप्यूटर का विस्तार इंटरनेट से जुड़ा हुआ है यह दोनों एक दूसरे के माध्यम और सहायता से अपना अपना विस्तार कर रहे हैं हम कह सकते हैं कि इंटरनेट और कंप्यूटर एक दूसरे के पूरक है|
इंटरनेट का विस्तार वर्ल्ड वाइड वेब की उपयोगिता के कारण हुआ है वर्ल्ड वाइड वेब आज सूचनाओं का सबसे बड़ा स्त्रोत है कोई भी व्यक्ति बहुत कम खर्च में इस पर अपनी आवश्यकता की सूचनाएं सर्च कर सकता है और उनका उपयोग कर सकता है इस कारण ही इंटरनेट की उपयोगिता बढ़ी हैं|
इन्टरनेट के विस्तार का दूसरा प्रमुख कारण इसकी सरलता और सुगमता है इंटरनेट से जोड़ना और किसी साइट को खोलना उतना ही सरल है जितना टेलीफोन पर किसी नंबर को डायल करना है|
इंटरनेट के विस्तार का तीसरा प्रमुख कारण संचार की सुविधा है क्योंकि इंटरनेट के माध्यम से हम बहुत ही कम खर्च में किसी भी व्यक्ति को कोई भी डाटा या सूचना एक स्थान से दूसरे स्थान पर आसानी से पहुंचा सकते हैं और तुरंत ही उसका उत्तर प्राप्त कर सकते हैं यह एक ऐसी सुविधा है जो किसी अन्य माध्यम पर उपलब्ध नहीं है इंटरनेट और ईमेल के कारण ही हम पूरी दुनिया से जुड़े हुए हैं|
सन 1995 में इंटरनेट के उपयोगकर्ता की संख्या केवल 1600000 थी जो अब 2008 में बढ़कर लगभग 16 करोड हो गई है आज संसार की जनसंख्या का लगभग 20% भाग इंटरनेट का लाभ उठा रहा है यह संख्या भी प्रतिदिन बढ़ती जा रही है|

वर्ल्ड वाइड वेब क्या है और उसकी विशेषताएं

June 30, 20169,536 Views21 Min Read

वर्ल्ड वाइड वेब क्या है (What is World Wide Web)

WWW डाक्यूमेंट्स का समूह होता है जो आपस में एक दूसरे से hypertext से जुड़े हुए होते है | hypertext document में टेक्स्ट, इमेज, ध्वनि आदि का समावेश होता है WWW internet की एक सेवा है| WWW का प्रयोग सबसे पहले TIM BERNERS LEE ने 1989 में CERN प्रयोगशाला में किया | वर्ल्ड वाईड वेब मे सूचनाओ को वेबसाईट के रूप मे रखा जाता है। ये वेबसाइटे वेब सर्वर पर हाईपरटैक्स्ट फाइलो के रूप संग्रहित होती है। वर्ल्ड वाईड वेब एक प्रणाली हैै, जिसके द्वारा प्रत्येक वेबसाइट को एक विशेष नाम दिया जाता है। उसी नाम से उसे वेब पर पहचाना जाता है।

WWW का पूरा नाम वर्ल्ड वाइड वेब (World Wide Web) है। इन्टरनेट और वर्ल्ड वाइड वेब का आपस में गहरा सबंध है जो दोनों एक दुसरे पर निर्भर हैं। वर्ल्ड वाइड वेब जानकारियों का भण्डार होता है जो लिंक्स के रूप में होता है दरअसल यह एक ऐसी तकनीक है जिसके कारण संसारभर के कंप्यूटर एक दुसरे से जुड़े हुए हैं। वर्ल्ड वाइड वेब HTML , HTTP , वेब सर्वर और वेब ब्राउज़र पर काम करता है।

किसी वेबसाइट के नाम को उसका URL (Uniform Resource Locator) भी कहा जाता है। जब हम किसी वेबसाइट को खोलना चाहते है, ब्राउजर प्रोग्राम के पते वाले बाॅक्स या एड्रेस बार मे उसका नाम या URL भर देता है। इस नाम की सहायता से ब्राउजर प्रोग्राम उस सर्वर तक पहुचता है जहाॅ वह फाइल या वेबसाइट स्टोर की गयी है और उससे एक वेबपेज प्राप्त करने के बाद हमारे कम्प्यूटर पर ला देता है। उस सूचना को व्राउजर प्रोग्राम माॅनीटर की स्क्रीन पर प्रदर्शित कर देता है। उस वेबसाइट पर कई हाइपरलिंक भी हो सकते है। प्रत्येक हाइपरलिंक किसी अन्य वेबपेज या वेबसाइट का URL बताता है। उस लिंक को क्लिक करने पर ब्राउजर उसी वेबपेज या वेबसाइट तक पहुचकर उसे उपयोगकर्ता को उपलब्ध करा देता है। इस प्रकार उपयोगकर्ता किसी वेबसाइट को देख सकता है, जिसका URL या Name उसे पता हो।

वर्ल्ड वाइड वेब की विशेषताये (Features of World Wide Web)

  1. HyperText Information System
  2. Cross-Platform
  3. Distributed
  4. Open Standards and Open Source
  5. Web Browser: provides a single interface to many services
  6. Dynamic, Interactive, Evolving
  7. Graphical Interface

Hypertext Information System:- वेब पेज के document में विभिन्न घटक होते है जैसे टेक्स्ट, graphics, object, sound यह सभी घटक आपस में एक दूसरे से जुड़े होते है | इन घटकों को आपस में जोड़ने के लिए hypertext का उपयोग किया जाता है |

Distributed:- www में वेबसाइट एक दूसरे से जुड़े होते है |सभी वेबसाइट में अलग अलग इन्फोर्मेशन होती है बहुत सी वेबसाइट ऐसी होती है जो दूसरे वेबसाइट से जुडी होती है| यूजर एक वेबसाइट खोलकर उससे दूसरे वेबसाइट से जुड सकता है इस कार्यप्रणाली को Distributed System कहा जाता है |

cross platform :– cross platform का अर्थ होता है की वेब पेज या वेब साईट किसी भी कंप्यूटर hardware या operating System पर कार्य कर सकता है|

Graphical Interface:- वर्तमान में सभी वेबसाइट में टेक्स्ट के अलावा विडियो, ध्वनि आदि का समावेश रहता है | Hyperlink सुविधा से इन्फोर्मेशन को आसानी से देख सकते है या वेब पेज से जोड़ सकते है | dynamic website में मेनू, कमांड, बटन आदि का यूज किया जाता है, इससे कार्य करने में आसानी जाती है |

वर्ल्ड वाइड वेब की कार्यप्रणाली (Functions of World Wide Web)

  • HTML (Hypertext markup language) एक language है | HTML hypertext link प्रदान करता है, जो किसी यूजर को वेबसाइट से जुड़े हुए वेब पेज को एक्सेस करने में मदद करता है |
  • www, client server model पर Based होता है, जिसमे क्लाइंट साईट पर remote machine पर क्लाइंट साफ्टवेयर (वेब ब्राउसर) कार्य करता है| सर्वर साईट पर सर्वर सॉफ्टवेयर कार्य करता है |
  • client के द्वारा वेब ब्राउज़र के एड्रेस बार में url एड्रेस टाइप किया जाता है |

URL किसी भी फाइल का एड्रेस होता है, जिसके तीन भाग होते है :-

  1. Protocol
  2. Domain name
  3. Path

  • वेब browser में दिए हुए एड्रेस के आधार पर वेब browser दिए गए url के सर्वर से संपर्क करता है तथा उसे url के अनुसार साईट प्रदान करने का आग्रह करता है |
  • सर्वर के द्वारा url को IP address में परिवर्तित कर दिया जाता है, इससे client कंप्यूटर एक निश्चित सर्वर से जुड जाता है |
  • जब एक बार साईट प्रदर्शित होती है, तो उसमे सामान्य टेक्स्ट के अतिरिक्त के हायपर टेक्स्ट भी होते है जिस को इंगित करने पर उससे सम्बंधित URL प्रदर्शित होता है,जब यूजर उस लिंक को क्लिक करता है तब फिर वेब browser उस url पर उपस्थित पेज को प्रदर्शित करने का आग्रह सर्वर से करता है तथा सर्वर उस पेज को प्रदर्शित करता है जो browser उसे यूजर के लिए प्रदर्शित करता है |
  • इस प्रकार वेब browser कार्य करता है |

इंटरनेट और इंट्रानेट में अंतर

February 26, 20192,664 Views23 Min Read

इंटरनेट और इंट्रानेट में अंतर (Difference Between Internet And Intranet)

हम में से अधिकांश लोग इंटरनेट और इंट्रानेट की शर्तों के बीच भ्रमित हो जाते हैं। यद्यपि उनके बीच बहुत अधिक असमानता मौजूद है, इनमें से एक अंतर यह है कि इंटरनेट सभी के लिए खुला है और सभी के द्वारा एक्सेस किया जा सकता है, जबकि, इंट्रानेट को निजी तौर पर ही प्रयोग किया जा सकता हैं|

 

इस पोस्ट में आप जानेंगे-
  1. इंटरनेट और इंट्रानेट का तुलना चार्ट
  2. इंटरनेट और इंट्रानेट की परिभाषा
  3. इंटरनेट और इंट्रानेट में मुख्य अंतर
  4. इंटरनेट और इंट्रानेट में समानताएँ
  5. निष्कर्ष

इंटरनेट और इंट्रानेट का तुलना चार्ट

तुलना का आधार
इन्टरनेट
इंट्रानेट
आशयकंप्यूटर के विभिन्न नेटवर्क को एक साथ जोड़ता हैयह इंटरनेट का एक हिस्सा है जो किसी विशेष फर्म के निजी स्वामित्व में है
सरल उपयोगकोई भी इंटरनेट का उपयोग कर सकता हैकेवल संगठन के सदस्यों द्वारा ही इसका प्रयोग किया जा सकता हैं|
सुरक्षाइंट्रानेट की तुलना में उतना सुरक्षित नहीं हैयह अधिक सुरक्षित हैं|
उपयोगकर्ता की संख्याअसीमितसीमित
ट्राफिकअधिककम
नेटवर्क का प्रकारइन्टरनेट एक सार्वजनिक नेटवर्क हैं|इंट्रानेट एक प्राइवेट नेटवर्क हैं|
दी हुई जानकारीअसीमित, और सभी द्वारा देखा जा सकता है|सीमित, और एक संगठन के सदस्यों के बीच प्रसारित करता है|
सर्वर की संख्याइंटरनेट पर हजारों सर्वर कार्य कर रहे होते हैं।इंट्रानेट में सर्वर की संख्‍या सी‍मित होती हैं।
नेटवर्कइंटरनेट नेटवर्को का नेटवर्क हैं। इसमें विभिन्‍न प्रकार के नेटवर्को (LAN, MAN, WAN) को मिलाकर एक नेटवर्क तैयार किया जाता हैं।इंट्रानेट मुख्‍य रूप से लोकल एरिया नेटवर्क (LAN) से मिलकर बना होता हैं।
मालिकइन्टरनेट का कोई भी मालिक नहीं होता हैं|इंट्रानेट का कोई न कोई मालिक अवश्य होता हैं|
वेब स्पेसइंटरनेट पर किसी साइट को चलाने के लिये पहले इस साइट को वेब सर्वर पर अपलोड करने के लिये Web Space की आवश्‍यकता होती हैं। इसके लिए अलग अलग सर्वर की सेवाऍ ली जाती हैं।इंट्रानेट पर किसी साइट को अपलोड करने के लिए Web Space की आवश्‍यकता नहीं होती हैं। अपितु उसमें प्रयोग होने वाले सर्वर से ही काम किया जाता हैं।
प्रयोगइसका प्रयोग बडे पैमाने पर किया जाता है।इसका प्रयोग छोटे पैमाने पर किया जाता है।

इंटरनेट की परिभाषा

इंटरनेट एक ग्लोबल नेटवर्क है इंटरनेट विभिन्न LAN, MAN और WAN का संग्रह है जो एक कनेक्शन स्थापित करता है और विभिन्न कंप्यूटरों के बीच सूचनाओ का आदान प्रदान करता है। यह किसी भी जानकारी जैसे डेटा, ऑडियो, वीडियो आदि को भेजने और प्राप्त करने के लिए वायर्ड और वायरलेस दोनों प्रकार के संचार का उपयोग करता है। यहाँ, डेटा “फाइबर ऑप्टिक केबल” के माध्यम से ट्रेवल करता है, जो टेलीफोन कंपनियों के स्वामित्व में है।

आजकल हर कोई इंटरनेट का उपयोग सूचना प्राप्त करने, कम्युनिकेशन करने और नेटवर्क पर डेटा स्थानांतरित करने के लिए करता है। यह एक सार्वजनिक नेटवर्क है जिसका उपयोग करके कंप्यूटर एक दूसरे से जुड़ सकते हैं और रिले कर सकते हैं। यह उपयोगकर्ता को सूचना का एक उत्कृष्ट स्रोत प्रदान करता है।

इंट्रानेट की परिभाषा

इंट्रानेट इंटरनेट का एक हिस्सा है जो निजी तौर पर प्रयोग किया जाता है। इंट्रानेट ज्यादातर LAN, MAN या WAN है यह सभी कंप्यूटरों को एक साथ जोड़ता है और नेटवर्क के भीतर फाइलों और फ़ोल्डरों तक पहुंच प्रदान करता है। इसमें अनजान उपयोगकर्ता को नेटवर्क तक पहुंचने से बचने के लिए सिस्टम के आसपास एक फ़ायरवॉल होता है। इसमें केवल अधिकृत उपयोगकर्ताओं को नेटवर्क तक पहुंचने की अनुमति है।

इसके अलावा, इंट्रानेट का उपयोग कंप्यूटर को जोड़ने और फर्म के भीतर डेटा, फ़ाइलों या दस्तावेजों को प्रसारित करने के लिए किया जाता है। यह जानकारी और फ़ोल्डर्स को शेयर करने का एक सुरक्षित तरीका है क्योंकि संगठन के भीतर नेटवर्क अत्यधिक सुरक्षित और प्रतिबंधित होता है। यह विभिन्न सेवाओं जैसे ईमेल, सर्च, डेटा संग्रहण आदि का प्रतिपादन करता है।

इंटरनेट और इंट्रानेट के बीच महत्वपूर्ण अंतर

  • इंटरनेट असीमित जानकारी प्रदान करता है जिसे हर कोई देख सकता है जबकि, इंट्रानेट सीमित होता हैं इसमें डेटा संगठन के भीतर प्रसारित होता है।
  • इंटरनेट सभी को पहुँच प्रदान करता है, जबकि, इंट्रानेट को पहुच प्रदान नहीं करता है।
  • इंटरनेट का स्वामित्व किसी एक या एक से अधिक संगठन के पास नहीं होता है, जबकि, इंट्रानेट एक निजी नेटवर्क है जो एक फर्म या एक संस्थान से संबंधित है।
  • इंटरनेट सभी के लिए उपलब्ध है जबकि, इंट्रानेट प्रतिबंधित है।
  • इंटरनेट की तुलना में इंट्रानेट सुरक्षित होता है।

इंटरनेट और इंट्रानेट के बीच समानताएं

  • इंटरनेट और इंट्रानेट दोनों को किसी भी ब्राउज़र का उपयोग करके एक्सेस किया जा सकता है।
  • डेटा ट्रांसफर करने के लिए वे इंटरनेट प्रोटोकॉल का इस्तेमाल करते हैं।
  • दोनों का उपयोग नेटवर्क पर उपयोगकर्ताओं के साथ जानकारी शेयर करने के लिए किया जाता है।

निष्कर्ष

इंटरनेट और इंट्रानेट दोनों के समान पहलू और असमानताएं हैं। इंटरनेट विभिन्न LAN, MAN और WAN का संग्रह है, जबकि, इंट्रानेट ज्यादातर LAN, MAN या WAN है। एक इंट्रानेट इंटरनेट की तुलना में सुरक्षित है क्योंकि उपयोगकर्ता लॉगिन नियमित अंतराल पर अद्यतन करता रहता है और यह एक संगठन तक सीमित होता है।

ISP (Internet service provider) इन्टरनेट सेवा प्रदाता

July 2, 20168,670 Views6 Min Read

इन्टरनेट का कोई भी मालिक नहीं हैं | इसलिए इन्टरनेट का पूरा खर्च किसी को वहन नही करना पड़ता, बल्कि इन्टरनेट पर किये जाने वाले कार्य के बदले प्रत्येक User को अपने हिस्से का भुगतान करना पड़ता हैं | नेटवर्क से सभी छोटे तथा बड़े नेटवर्क जुड़े होते हैं तथा इनको जोड़ने पर होने वाले खर्च की राशि कहाँ से लाये, यह निर्णय करते है| School, University और Company अपने कनेक्शन का भुगतान क्षेत्रीय नेटवर्क को करती है तथा वह क्षेत्रीय नेटवर्क इस एक्सेस के लिए इन्टरनेट सेवा प्रदाता को भुगतान करता है|
वह कंपनी जो इन्टरनेट एक्सेस प्रदान करती है इन्टरनेट सेवा प्रदाता (Internet Service Provider) कहलाती है| किसी अन्य कंपनी की तरह ही इन्टरनेट सेवा प्रदाता अपनी सेवाओ के लिए User से पैसा लेती है| internet Service Provider Company दो प्रकार का शुल्क लेती हैं|

  1. इन्टरनेट प्रयोग करने के लिए|
  2. इन्टरनेट कनेक्शन देने के लिए|

Users को इन्टरनेट कनेक्शन लेने तथा इन्टरनेट प्रयोग करने का शुल्क ISP को देना पड़ता है| ISP कंपनी Users से समयावधि, दूरी, गति तथा डाटा डाउनलोड या अपलोड की मात्रा के अनुसार शुल्क लेती है | BSNL, IDEA, Reliance, Sify, Bharti, VSNL, Airtel, Vodafone आदि इन्टरनेट सेवा प्रदाताओ के नाम हैं|

Internet Connectivity

July 1, 201613,779 Views24 Min Read

Internet Connectivity

कनेक्टिविटी से आशय इंटरनेट से जुङने के लिए यूज़ होने वाले तरीके से है | इंटरनेट किसी भी प्रकार का कोई बिज़नेस प्रोडक्ट नहीं है बल्कि यह इन्फॉर्मेशन का ग्रुप है, जिसका प्रयोग यूजर अपनी आवश्यकता के अनुसार इन्फॉर्मेशन को कलेक्ट करने के लिए करता है | इंटरनेट एक ऐसी जगह है जहां दुनिया की हर जानकारी सिर्फ एक क्लिक से आपको मिल जाएगी | इन्टरनेट का कोई भी मालिक नहीं होता है इसके कारण इंटरनेट को यूज़ करने के लिए कुछ विशेष नियम व प्रोटोकॉल बनाये गए है , जिसे हर यूजर को मानना पड़ता है और उसे इसी रूल्स के हिसाब से इंटरनेट प्रयोग करना होता है |

इंटरनेट को यूज़ करने के लिए सबसे पहले आपको  किसी सर्वर से जुड़ना होता है, इंटरनेट सर्वर एक ऐसा सिस्टम कहा जा सकता है जो क्लाइंट यानि यूजर के द्वारा आने वाली रिक्वेस्ट को एक्सेप्ट करके उसके द्वारा मांगी गयी जानकारी उपलब्ध कराता है | इन्टरनेट की सेवाए लेने के लिए पहले आपको इन्टरनेट से कनेक्ट होना पड़ता है और इसके लिए आपको इन्टरनेट कनेक्शन लेना पड़ता है |ऐसी सेवा कई कंपनियां देती है|

ऐसी कंपनियां जो इन्टरनेट की सर्विस प्रोवाइड कराती है ISP (internet service provider) कहलाती है | इन्टरनेट का प्रयोग करने के लिए आपको ISP से कनेक्शन लेना होता है | जब आप इस कंपनी का नेटवर्क यूज़ करते है ,तो आपको इसके लिए आवश्यक फीस जमा करनी होती है ,इसी के साथ आपका सिस्टम उस कंपनी के सर्वर के साथ जुड जाता है | हर नेटवर्क की जिम्मेदारी होती है की जब वह किसी यूजर को सर्विस प्रोवाइड कराता है ,तो नेटवर्क से सम्बंधित कोई भी परेशानी आने पर उसे दूर करे | इंटरनेट से जुड़ने के पहले यह विचार करना पड़ता है की आप किस लेवल पर इंटरनेट यूज़ करना चाहते है, इंटरनेट से जुड़ने के लिये कई प्रकार के कनेक्शन उपलब्ध है जो निम्नलिखित है –

इंटरनेट से जुडने के लिये कई तरीके है। इसके लिये आपको अपना कम्प्यूटर किसी सर्वर से जोडना होता है। इंटरनेट सर्वर कोई ऐसा कम्प्यूटर है, जो दूसरे कम्प्यूटरो से भेजी गई प्राथनाओ को स्वीकार करता है और उन्हे उनकी जानकारी उपलब्ध कराता है। ये सर्वर कुछ अधिकृत कंपनियो द्वारा स्थापित किये जाते है, जिन्हे इंटरनेट सेवा प्रदाता कहा जाता है। ऐसी सेवा देने वाली अनेक कंपनीयां है, आपके पास किसी इंटरनेट सेवा प्रदाता कंपनी का कनेक्शन होना चाहिए। जब आप अपने क्षेत्र मे कार्य करने वाली किसी इंटरनेट सेवा प्रदाता कंपनी से आवेदन करते है और आवश्यक शुल्क जमा करते है, जिसके द्वारा आप उस कंपनी के सर्वर से अपने कम्प्यूटर को जोड सकते है।

Types of Internet Connection

Dial up Connection
ISDN Connection
Leased line connection
VSAT Connection
Broadband Connection
Wireless Connection
USB Modem Connection

1. PSTN (Public Services Telephone Network)

सामान्य टैलीफोन लाइन द्वारा, जो आपके कम्प्यूटर को डायल अप कनेक्शन के माध्यम से इंटरनेट सेवा प्रदाता कंपनी के सर्वर से जोड देती है। इसलिए इसे Dial up connection भी कहा जाता हैं | कोई डायल अप कनेक्शन एक अस्थायी कनेक्शन होता है, जो आपके कम्प्यूटर और आईएसपी सर्वर के बीच बनाया जाता है। डायल अप कनेक्शन मोडेम का उपयोग करके बनाया जाता है, जो टेलीफोन लाइन का उपयोग आईएसपी सर्वर का नंबर डायल करने मे करता है। ऐसा कनेक्शन सस्ता होता है, और इसकी स्पीड कम होती हैं | इसकी स्पीड kbps (kilo byte per second) तथा mbps (mega byte per second) में मापी जाती हैं |

2. ISDN (Integrated services digital network)

यह डायल उप कनेक्शन के समान ही होता हैं परन्तु यह महंगा होता हैं और इसकी स्पीड डायल उप से ज्यादा होती हैं |

3.  Leased line connection

लीज लाइन ऐसी सीधी टेलीफोन लाइन होती है, जो आपके कम्प्यूटर को आईएसपी के सर्वर से जोडती है। यह इंटरनेट से सीधे कनेक्शन के बराबर है और 24 घंटे उपलब्ध रहती है। यह बहुत तेज लेकिन महॅगी होती है।

4.V-SAT (वी-सैट)

V-SAT Very Small Apertune Terminal का संक्षिप्त रूप है। इसे Geo-Synchronous Satellite के रूप मे वर्णन किया जा सकता है जो Geo-Synchronous Satellite से जुडा होता है तथा दूरसंचार एवं सूचना सेवाओ, जैसे.आॅडियो, वीडियो, ध्वनि द्वारा इत्यादि के लिये प्रयोग किया जाता है। यह एक विशेष प्रकार का Ground Station है जिसमे बहुत बडे एंटीना होते है। जिसके द्वारा V-SAT के मध्य सूचनाओ का आदान प्रदान होता है, Hub कहलाते है। इनके द्वारा इन्हे जोडा जाता है।

5. Broadband Connection

यह वह लाइन होती हैं जो ISP द्वारा भेजी जाती हैं इसके बाद उस लाइन को मॉडेम और टेलीफोन लाइन से जोड़ दिया जाता हैं यह एक प्राइवेट नेटवर्क होता हैं जिसका कोई न कोई मालिक अवश्य होता हैं इसलिए इस नेटवर्क का प्रयोग केवल वही व्यक्ति कर सकता हैं जिसने यह कनेक्शन लिया हैं |
जैसे – MTNL, BSNL, sify, idea आदि वह कंपनियां हैं जो ब्रॉडबैंड की सुविधा देती हैं |

6. Wireless connection

Wireless वह कनेक्शन होता हैं जिसमे केबल का प्रयोग नहीं किया जाता हैं जैसे – wifi इसे चलाने के लिए किसी केबल की आवश्यकता नहीं होती हैं wifi कनेक्शन के लिए केवल Router की आवश्यकता होती हैं|

7. USB Modem connection

इस कनेक्शन के लिए मॉडेम की आवश्यकता नहीं होती हैं USB device के माध्यम से यह कनेक्शन स्थापित किया जाता हैं इसमें Sim card के द्वारा इन्टरनेट कनेक्शन बनाया जाता हैं USB Modem में sim card लगाने के बाद कंप्यूटर से कनेक्ट करने पर नेट चालू हो जाता हैं |
जैसे – Net Sector एक USB modem हैं इसे कई कंपनी द्वारा बनाया गया हैं idea, reliance, Airtel, Tata docomo, jio आदि |

URL (यूनिफार्म रिसोर्स लोकेटर) क्या हैं?

November 15, 20176,720 Views14 Min Read

URL (यूनिफार्म रिसोर्स लोकेटर)

URL का फुल फॉर्म Uniform Resource Locator होता है जो किसी website या वेबसाइट के पेज को रिप्रेजेंट करता है, या आपको किसी वेब पेज तक ले जाता है। यूआरएल इन्टरनेट में किसी भी फाइल या वेब साईट का एड्रेस होता है | URL की शुरुआत Tim Berners Lee ने 1994 में की थी |

किसी वेबसाइट का अद्वितीय नाम या पता, जिससे उसे इंटरनेट पर जाना, पहचाना और उपयोग किया जाता है, उसका URL कहा जाता है। इसे Uniform Resource Locator भी कहा जाता है। किसी वेब पते का सामान्य रूप निम्न प्रकार होता है।

यहाॅ type उस सर्वर का type बताता है, जिससे वह फाइल उपलब्ध है और Address उस साइट का पता बताता है। उदाहरण के लिये एक वेब पोर्टल के URL http://www.yahoo.com मे http सर्वर का type है और www.yahoo.com उसका पता है। जब हम किसी वेबसाइट को खोलना चाहते है तो इसका URL पते के बाक्स मे टाइप किया जाता है। यदि कोई सर्वर टाईप नही दिया जाता, तो उसे http मान लिया जाता है। हम किसी वेब पेज का पाथ उसकी वेबसाइट के यूआरएल मे जोडकर उस वेब पेज को सीधे भी खोल सकते है।

किसी वेबसाइट का पूरा URL इन सभी भागो के बीच मे डाॅट (.) लगाकर जोडने से बनता है। केवल प्रोटोकाॅल के नाम के बाद एक कोलन (:) और दो स्लेश (//) लगाये जाते है, जैसे-http://www.yahoo.com।

Parts of URL

  1. HTTP:- पहला भाग http यानि hypertext transfer protocol होता है जिसकी मदद से इटरनेट पर डाटा Transfer  होता है|
  2. Domain Name:- दूसरा भाग होता है domain name जो कि किसी particular वेबसाइट का पता (address) होता है|
  3. WWW:- यह एक सर्विस है |
  4. Yahoo:- यह संस्था का नाम है |
  5. .com :- यह डोमेन एक्सटेंशन होता है, जो यह दर्शाता है की वेबसाइट किस प्रकार की है |

Domain name

डोमेन नाम वेबसाइट के उद्येश्य को पहचानता है। उदाहणार्थ, यहाॅ .com डोमेन नाम बताता है कि यह एक व्यापारिक साइट है। इसी प्रकार लाभ न कमाने वाले संगठन .org तथा स्कूल तथा विश्वविद्यालय आदि .edu  डोमेन नामो का उपयोग करते है। सामान्यत: निम्न 6 प्रकार के डोमेन यूज किये जाते है |

  • .Com – Commercial Website (व्यापारिक संस्थान के लिए)
  • .Edu – Education Website (शैक्षणिक संस्थान के लिए)
  • .Gov – Government Website (शासकीय संस्थान के लिए)
  • .Mil – Millitry Website (मिलिट्री संस्थान के लिए)
  • .Org – Organisation Website (संगठन संस्थान के लिए)

URL कैसे काम करता है ?

इन्टरनेट पर हर वेबसाइट का एक IP Address होता है जो  numerical होता है जैसे www.google.com का IP एड्रेस  64.233.167.99 हैं तो जैसे ही हम अपने ब्राउज़र में  किसी वेबसाइट का URL टाइप करते हैं तब हमारा browser उस url को DNS की मदद से उस डोमेन के IP address में बदल देता है। और उस वेबसाइट तक पहुच जाता है जो हमने सर्च की थी । शुरुवात में direct IP से ही किसी वेबसाइट को एक्सेस किया जाता था लेकिन यह एक बहुत कठिन तरीका था । क्योंकि इतने लम्बे  नबर को तो कोई याद रख पाना बहुत मुश्किल था । इसलिये बाद में DNS (domain name system) नाम बनाये गए जिस से हम किसी वेबसाइट का नाम आसानी से याद रखा जा सकता है

What is Portal

July 11, 20182,913 Views9 Min Read

Portal

वेबसाइट्स के समूह को पोर्टल कहा जाता है। पोर्टल का शाब्दिक अर्थ होता है प्रवेशद्वार। पोर्टल वास्तव में स्वयं भी एक वेबसाइट होती है, जिससे दूसरे कई अन्य संबंधित वेबसाइट पर पहुंचा जा सकता है। इंटरनेट से जुड़ने पर कई प्रकार के पोर्टल मिलते हैं। पोर्टल्स पर विभिन्न स्त्रोतों से जानकारियां जुटाकर व्यवस्थित रूप में उपलब्ध करायी जाती हैं। इसके साथ ही पोर्टल पर कई तरह की सेवाएं भी दी जाती हैं|

जैसे- कई पोर्टल यूजर को सर्च इंजन की सुविधा देते है,इसके अलावा, कम्युनिटी चैट फोरम, होम पेज,और ईमेल की सुविधाएं देते हैं। पोर्टल पर सर्च इंजन ,सब्जेक्ट डायरेक्ट्री, और अन्य सर्विस जैसे- न्यूज़ , इंटरटेनमेंट , स्टॉक , मार्केट ,शॉपिंग आदि की लिंक होती है। इन लिंक के द्वारा आप उस वेबसाइट तक पहुच सकते हो | पोर्टल पर समाचार, स्टॉक मूल्य और फिल्म आदि की गपशप भी देख सकते हैं। बहुत से पोर्टल्स को यूजर अपनी आवश्यकता के अनुसार कस्टमाइज भी कर सकता है |

पोर्टल बड़े सर्च इंजन और ब्राउज़र प्रोवाइडर द्वारा प्रायोजित (Sponsored) होते है। पोर्टल साइट पर सभी इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर अपना ध्यान दो सर्विस पर अधिक लगाते है- मनोरंजन और इनफार्मेशन। वेब साइट के पहले पेज पर यूजर के लिए ये दोनों सर्विस उपलब्ध होती है । साधारण अर्थो में कह सकते है की पोर्टल वो वेब साइट होती है जो यूजर को मनोरंजन और इनफार्मेशन की सर्विस प्रोवाइड कराती है और जहाँ यूजर इंटरनेट पर अधिक अनुभव प्राप्त करता है |
कुछ प्रचलित पोर्टल्स के नाम निम्नलिखित है-

  • aol.com
  • netscape.com
  • yahoo.com
  • excite.com

Features of Portal

पोर्टल की विशेषताये निम्नलिखित है –

  • पोर्टल की सहायता से अन्य वेब साइट्स से इनफार्मेशन प्राप्त की जा सकती है।
  • पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करने की व्यवस्था सरल होती है।
  • पोर्टल वेब साइट से जुड़ने के लिए एक गेट की भांतिकार्य करते है।
  • पोर्टल वेब होस्टिंग की सुविधा प्रदान करते है।
  • पोर्टल पर लगभग सभी प्रकार की मशीने जुड़ सकती है।

Internet के अनुप्रयोग (Applications) को समझाइए|

November 15, 201712,474 Views7 Min Read

Applications of Internet

  1. Communication :- internet के माध्यम से संपर्क करना आसान तेज एवं सस्ता हो गया है इन्टरनेट में ईमेल,chat आदि टूल के द्वारा हम एक साथ एक से अधिक व्यक्तियों से बात कर सकते है | ईमेल में टेक्स्ट के साथ इमेज,फोटो,मूवी आदि भी भेज सकते है |
  2. Education:- internet के द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में बहुत बदलाव आये है, व्यक्ति इन्टरनेट के माध्यम से किसी ही बुक या किसी भी टॉपिक के बारे में इनफार्मेशन को देख सकता है, इसके आलावा वर्चुअल क्लास के माध्यम से घर बैठे शिक्षा प्राप्त की जा सकती है |
  3. Business:- इन्टरनेट के माध्यम से व्यापर के क्षेत्र में क्रांति आयी है, इन्टरनेट के द्वारा किसी भी व्यापर को एक बड़ेस्तर पर किया जा सकता है| जिससे ज्यादा से ज्यादा लाभ कमाया जा सके |
  4. Entertainment: इन्टरनेट के माध्यम से किसी भी मूवी को डाउनलोड किया जा सकता है, ऑनलाइन shows देखे जा सकते है | और किसी भी गाने को सुना जा सकता है या प्राप्त किया जा सकता है |जिससे घर बैठे मनोरंजन किया जा सकता है |
  5. Medicine:- चिक्तिसा के क्षेत्र में इन्टरनेट का बड़े स्टेट पर यूज किया जाता है, जैसे किसी मरीज की रिपोर्ट को भेजना | विभिन्न दवाइयों के बारे में इनफार्मेशन को देखना आदि कार्यो के लिए इन्टरनेट का बड़े स्तर पर यूज किया जाता है |
  6.  Shopping:- इन्टरनेट के माध्यम से घर बैठे शॉपिंग की जा सकती है, चाहे वह कोई भी सामान या प्रोडक्ट हो|



E-Mail क्या हैं ?

July 1, 201627,518 Views15 Min Read

E-Mail क्या हैं ?

इलैक्ट्रानिक मेल या संक्षेप मे ई-मेल इंटरनेट की सबसे अधिक उपयोग की जाने वाली सेवा है। इलैक्ट्रानिक मेल एक ऐसा इलैक्ट्रानिक संदेश होता है, जो किसी नेटर्वक से जुडे विभिन्न कम्प्यूटरो के बीच भेजा व प्राप्त किया जाता है। ई-मेल का उपयोग व्यक्तियो या व्यक्तियो के समूहो के बीच जो भौगोलिक रूप से हजारो मील दूर भी हो सकता है। लिखित संदेश भेजने मे किया जाता है। ई-मेल को मेल सर्वर के माध्यम से भेजा जाता और प्राप्त किया जाता है। कोई मेल सर्वर ऐसा कम्प्यूटर होता है। जिसका कार्य ई-मेलो को प्रोसेस करना और उचित क्लाइंट कम्प्यूटरो को भेजना होता है।

वेब पते की तरह हमारे ई-मेल पते भी होते है, जिस पर ई-मेल भेजी जाती है। ब्राउजर प्रोग्राम की तरह ई-मेल भेजने और प्राप्त करने के लिये विशेष ई-मेल प्रोग्राम या साॅफ्टवेयर होते है जैसे माइक्रोसाॅफ्ट आउटलुक तथा आउटलुक एक्सप्रेस आदि। और हम कुछ वेबसाइट की सहायता से भी अपना ई-मेल भेज तथा प्राप्त कर सकते है।

E-Mail भेजने की प्रक्रिया (Sending Process of E-mail)

यदि आप किसी को ई-मेल संदेश भेजना चाहते है, तो आप उसे आॅफलाइन तैयार कर सकते है। संदेश बनाने के लिये, Messages मेन्यु मे New Message आदेश अथवा स्टैण्डर्ड टूलबार मे New Mail बटन को क्लिक कीजिए। इससे नये संदेश की विंडो आपके सामने प्रदर्शित हो जाएगी।इस विंडो मे To: बाक्स मे प्राप्तकर्ता का ई-मेल पता टाईप कीजिए और संदेश का विषय Subject: बाक्स मे टाईप कीजिए। CC: बाक्स मे उनका ई-मेल पता टाईप करके आप इस संदेश की प्रतिलिपि अन्य लोगो को भी भेज सकते है।

किसी E-Mail को भेजने के लिये निम्नलिखित Steps का अनुसरण करते है|

Step 1:अपने सिस्टम को इंटरनेट से कनेक्ट करने के पश्चात् इंटरनेट एक्सप्लोलर को खोलते है। इसमे एड्रेस बार मे उस वेब साइट को type करते है जिसमे हमारी E-Mail Id है, जैसे यहाॅ पर हम www.akhilesh@cyberdairy.com को type करके Enter key press करते है।

Step 2:इसके पश्चात् हम User Name Box मे अपनी Email Id  तथा Password Box मे Password लिखते है तथा Enter key Press करते है। इसके पश्चात् स्क्रीन पर हमारा Home Page खुलता है।

Step 3: इसमे हम Write Mail/Compose Mail आॅप्शन पर क्लिक करते है तो स्क्रीन पर एक नयी Window खुलती है, इसमे प्रथम Box  मे वह Mail Id लिखते है जिसके पास Attachment को संलग्न करना है। इसके पश्चात् ।Attachment बटन पर क्लिक करते है तो स्क्रीन पर Attachment Box खुलता है।

Step 4: इस बाॅक्स मे Browse Button के माध्यम से उस फाइल को Browse करके Attach हो जाती है।

Step 5: इसके पश्चात् Send Button पर क्लिक करते है। इस तरह संलग्न की गयी फाइल उस ID  पर पहुुच जाती है जो हमने Mention की है।

E-Mail प्राप्त करने की प्रक्रिया

E-Mail को प्राप्त करने के लिये निम्नलिखित Steps का अनुसरण करते है-

Step 1:अपने सिस्टम को इंटरनेट से कनेक्ट करने के पश्चात् इंटरनेट एक्सप्लोलर को खोलते है। इसमे एड्रेस बार मे उस वेब साइट को type करते है जिसमे हमारी E-Mail Id है, जैसे यहाॅ पर हम www.akhilesh@cyberdairy.com को type करके Enter key pres करते है।

Step 2: इसके पश्चात् हम User Name Box मे अपनी Email Id तथा Password Box मे Password लिखते है तथा Enter key Press करते है। इसके पश्चात् स्क्रीन पर हमारा Home Page खुलता है।

Step 3: इसके पश्चात् हमे जो भी Mail किसी के द्वारा भेजे गये है उसे हम अपने Inbox मे जाकर प्राप्त कर सकते है।

Free E-Mail Services (नि:शुल्‍क ई-मेल सेवायें)

February 23, 20182,196 Views9 Min Read

What is E-Mail (ई मेल क्या हैं)

इलैक्ट्रानिक मेल या संक्षेप मे ई-मेल इंटरनेट की सबसे अधिक उपयोग की जाने वाली सेवा है। इलैक्ट्रानिक मेल एक ऐसा इलैक्ट्रानिक संदेश होता है, जो किसी नेटर्वक से जुडे विभिन्न कम्प्यूटरो के बीच भेजा व प्राप्त किया जाता है। ई-मेल का उपयोग व्यक्तियो या व्यक्तियो के समूहो के बीच जो भौगोलिक रूप से हजारो मील दूर भी हो सकता है। लिखित संदेश भेजने मे किया जाता है। ई-मेल को मेल सर्वर के माध्यम से भेजा जाता और प्राप्त किया जाता है। कोई मेल सर्वर ऐसा कम्प्यूटर होता है। जिसका कार्य ई-मेलो को प्रोसेस करना और उचित क्लाइंट कम्प्यूटरो को भेजना होता है।

वेब पते की तरह हमारे ई-मेल पते भी होते है, जिस पर ई-मेल भेजी जाती है। ब्राउजर प्रोग्राम की तरह ई-मेल भेजने और प्राप्त करने के लिये विशेष ई-मेल प्रोग्राम या साॅफ्टवेयर होते है जैसे माइक्रोसाॅफ्ट आउटलुक तथा आउटलुक एक्सप्रेस आदि। और हम कुछ वेबसाइट की सहायता से भी अपना ई-मेल भेज तथा प्राप्त कर सकते है।

Free E-Mail Services (नि:शुल्‍क ई-मेल सेवायें)

नि:शुल्‍क ई-मेल सेवायें वह सेवायें होती हैं जो कि हमें इंटरनेट पर बिना किसी कीमत के प्राप्‍त होती हैं, अर्थात् इन सेवाओं के लिये हमें कोई शुल्‍क प्रदान करने की आवश्‍यकता नहीं होती हैं। आजकल इंटरनेट पर काफी संख्‍या में ऐसी वेबसाइटें उपलब्‍ध हैं जो इंटरनेट यूजर को नि:शुल्‍क E-Mail सेवायें उपलब्‍ध कराती हैं।

यद्यपी इंटरनेट पर ऐसी वेबसाइटें भी उपलब्‍ध हैं जो E-Mail सेवायें प्रदान करने के लिये शुल्‍क भी लेती हैं। Free ई-मेल सेवायें प्रदान करने का मुख्‍य उद्देश्‍य इंटरनेट को लोकप्रिय बनाना हैं तथा इंटरनेट यूजर को अधिक से अधिक सेवायें तथा जानकारी प्रदान करना हैं। प्रमुख रूप से निम्‍नलिखित वेबसाइटें हैं जो Free ई-मेल सुविधायें उपलब्‍ध कराती हैं-

  • yahoo.com
  • rediffmail.com
  • indiatimes.com
  • notmail.com
  • sify.com
  • gmail.com
  • orkut.com
  • aol.com
  • yandex.com
  • zoho.com

Types of Protocol

January 19, 201821,504 Views32 Min Read

Types of Protocol (प्रोटोकॉल के प्रकार)

1. TCP – Transmission Control Protocol
2. IP – Internet Protocol
3. SMTP – Simple Mail Transfer Protocol
4. POP – Post Office Protocol
5. SLIP – Serial Linr Internet Protocol
6. PPP – Point To Point Protocol
7. SNMP – Simple Network Management Protocol
8. UDP – User Datagram Protocol
9. HTTP – Hypertext Transfer Protocol
10. FTP – File Transfer Protocol
11. MIME – Multipurpose Internet Mail Extension
12. UUCP – Unix To Unix Copy Protocol
13. X400
14. telnet

TCP/IP

इंटरनेट द्वारा प्रयोग किया जाने वाला कम्युनिकेशन प्रोटोकॉल TCP/IP है यह प्रोटोकॉल दो भागों में विभाजित है पहला भाग TCP- Transmission Control Protocol (ट्रांसमिशन कंट्रोल प्रोटोकॉल) है जो इंटरनेट पर डाटा ट्रांसफर करने में प्रयोग किया जाता है यह किसी फाइल या संदेश को एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजने में सहायक होता है|

दूसरा भाग IP – Internet Protocol (इंटरनेट प्रोटोकॉल) है यह प्रोटोकॉल प्राप्तकर्ता के कंप्यूटर के address को संभालने के लिए उत्तरदाई होता है ताकि प्रत्येक पैकेट सही रास्ते से भेजा जा सके| यह प्रोटोकॉल इंटरनेट से जुड़े हुए प्रत्येक कंप्यूटर में प्रयोग किया जाता है चाहे वह लेपटॉप हो, पर्सनल कंप्यूटर हो या सुपर कंप्यूटर | यह सभी में समान रुप से लागू होता है और इंटरनेट से जुड़े हुए प्रत्येक नेटवर्क में प्रयोग किया जाता है यहां तक कि यह दो स्वतंत्र कंप्यूटरों को नेटवर्क से जोड़ने में भी प्रयोग में लाया जाता है|

Serial Line Internet Protocol (SLIP)

SLIP का पूरा नाम Serial Line Internet Protocol हैं | यह इंटरनेट प्रोटोकॉल का पुराना रूप है इसे सीरियल पोर्ट और मॉडेम कनेक्शनों के कार्य के लिए विकसित किया गया है इसे संक्षेप में स्लिप कहा जाता है यह वास्तव में पॉइंट टू पॉइंट प्रोटोकॉल का ही दूसरा रूप है परंतु इसका प्रयोग अब बहुत कम किया जाता है क्योंकि यह डेटा ट्रांसमिशन में होने वाली गलतियों का पता नहीं लगा पाता है|

File Transfer Protocol (FTP)

इसका पूरा नाम File Transfer Protocol है यह प्रोटोकॉल Files को एक system से दूसरे System पर copy करने के लिये प्रयोग किया जाता हैं यह प्रोटोकाल data रूपांतरण directory की सूची तथा अन्‍य विकल्‍प प्रदान करता हैं।

FTP दो Connection स्‍थापित करता हैं ये Connection TCP Protocol की मदद से स्‍थापित किये जाते है पहला Connection क्लाइंट तथा सर्वर के बीच में Command तथा उसका Response देने के लिये किया जाता हैं और दूसरा Connection data को transfer करने के लिये किया जाता हैं FTP Protocol binary तथा Text files का आदान-प्रदान करता हैं।

Hypertext Transfer Protocol (HTTP)

यह इन्टरनेट में प्रयोग होने वाला सबसे महत्वपूर्ण प्रोटोकॉल हैं यह एक एप्लीकेशन प्रोटोकॉल हैं जिसका प्रयोग Web Browser की एड्रेस बार में WWW के पहले किया जाता हैं यह प्रोटोकॉल यूज़र द्वारा Address bar में डाले जाने वाले वेबसाइट के एड्रेस तक पहुचाने का कार्य करता हैं |

Telnet

यह एक ऐसा प्रोटोकॉल हैं जो Internet पर कार्य कर रहें user को दूर स्थित Computer सें जोड़ता हैं। इसके द्वारा हम दूर स्थित कंप्यूटर में login कर सकते हैं और उस कंप्यूटर पार आसानी से कार्य कर सकते हैं |

Trivial File Transfer Protocol (TFTP)

यह FTP की तुलना में एक साधारण प्राटोकॉल है जो एक System से दूसरे System में file को transfer करता हैं। इसकी एक मात्र विशेषता यह है कि इसके अंदर किसी Client Process व Server Process के बीच files को प्राप्‍त करने व भेजने की योग्यता हैं।

Unix to Unix Protocol (U.U.C.P.)

U.U.C.P. का पूर्ण रूप यूनिक्‍स टू यूनिक्‍स कॉपी (Unix-to-Unix Copy) हैं। यह एक यूनिक्‍स प्रोग्राम (Utility) है जो यूनिक्‍स के सिस्‍टम के मध्‍य संचार को व्‍यवस्थित करता हैं। दो यूनिक्स कंप्यूटर के मध्य डाटा Transfer करने के लिए UUCP प्रोटोकॉल का प्रयोग किया जाता हैं UUCP अपने संस्‍करण Honey Bar UUCP तथा Taylor UUCP के नाम से जाना जाता हैं। यह-

  • यह प्रोटोकॉल दो होस्‍ट के मध्‍य फाइल ट्रांसफर करता हैं।
  • यह प्रोटोकॉल ई-मेल तथा यूजनेट ग्रुप के लिए संचार प्रोटोकॉल प्रदान करता हैं।
  • यह प्रोटोकॉल संचार डिवाइसेज का नियंत्रण करता हैं।
  • यू.यू.सी.पी. पैकेज के व्‍यवस्‍था के लिए यूटिलिटिज (Utilities) का एक संकलन प्रदान करता हैं।

E-mail में प्रयोग होने वाले प्रोटोकॉल

ईमेल प्रोटोकॉल का प्रयोग मेल करते समय किया जाता हैं मेल करते समय कई प्रोटोकॉल प्रयोग किये जाते हैं अर्थात User ई-मेल भेजने के लिए अलग-अलग प्रकार के संदेश प्रणाली (Messaging System) का प्रयोग करता हैं, जो दो अलग-अलग पद्धति का प्रयोग करने के फलस्‍वरूप संदेश का संचार करने में कठिनाई उत्‍पन्‍न करते हैं। इस प्रकार की समस्याओं के कारण उत्‍पन्‍न होने वाली कठिनाइयों का निदान करने के लिए अलग अलग नियमों को बनाया गया इस समान पद्धति वाले निर्देशों के समूह को प्रोटोकॉल (Protocols) कहते हैं। प्राटोकॉल्‍स जो इलेक्‍ट्रॉनिक मेल (email) में प्रयोग होते  हैं, निम्‍न हैं-

Simple Mail Transfer Protocol (SMTP)

इसका पूरा नाम Simple Mail Transfer Protocol हैं। यह प्रोटोकॉल दो Systems के बीच में Mails आदान-प्रदान के लिये Use में लाया जाता हैं। वास्‍तव में यह Protocol TCP Connection का use करते हुये दो System के बीच में mail का आदान-प्रदान करता हैं।

सिस्टम में ईमेल सुविधा को क्रियांवित करने के लिए यह प्रोटोकॉल प्रयोग किया जाता है इस प्रोटोकॉल की सहायता से ही मेल एक सिस्टम से दूसरे सिस्टम तक पहुंचते हैं इस प्रोटोकॉल का प्रयोग एक व्यक्ति द्वारा दूसरे व्यक्ति को मेल ट्रांसफर करने के लिए किया जाता है|

Post Office Protocol (POP)

यह प्रोटोकॉल Client Server मॉडल पर आधारित होता हैं वास्‍तव में इस प्रोटोकॉल का प्रयोग E-Mail को Download तथा Update करने में किया जाता हैं। इस प्रोटोकॉल के द्वारा Client, Server से E-Mail प्राप्‍त करता हैं।

x.400

इस प्रोटोकॉल का प्रयोग ईमेल कनेक्टिविटी के लिए किया जाता है इसका प्रयोग मुख्य रूप से वाइनरी फाइल ट्रांसफर करने के लिए किया जाता है|

Multipurpose Internet Mail Extensions (MIME)

इस प्रोटोकॉल का प्रयोग मल्टीमीडिया फाइल ट्रांसफर करने के लिए किया जाता है ईमेल के माध्यम से जो भी मल्टीमीडिया डाटा भेजा जाता है वह MIME के द्वारा भेजा जाता हैं |

MIME का पूर्ण रूप बहुउद्देशीय इन्‍टरनेट मेल विस्‍तारक (Multipurpose Internet Mail Extensions) हैं माइम (MIME) ऐसा प्रोटोकॉल है जो असमान अक्षर समूहों (character sets) वाले भाषाओं में टैक्‍स्‍ट का विनिमय (interchange) करता हैं साथ ही कई भिन्न कम्‍प्‍यूटर प्रणालियों के मध्‍य मल्‍टीमीडिया ई-मेल को भी स्‍थानांतरित (Interchange) करता हैं। माइम प्रयोक्‍ता को निम्‍नलिखित सुविधाओं के साथ ई-मेल संदेशों को बनाये तथा पढ़ने की सुविधा प्रदान करता हैं-

  • एस-की के अतिरिक्‍त अरबी (Arabic), कन्‍जी (Kanji), के अक्षर-समूह (Character Sets),।
  • विशेष चिन्‍हों पर आधारित समृद्ध टैक्‍स्‍ट जैसे गणित ।
  • ग्राफिक्‍स इमेज
  • ऑडियो फाइल तथा ध्‍वनि (Sound)

Binary files, compressed files जैसे rar तथा zip माइम नॉन-टैक्‍स्‍चुअल संदेश विषयवस्‍तुओं के कई पूर्व-परिभाषित रूपों जैसे GIF फाइलों को सपोर्ट (Support) करने के अतिरिक्‍त user को उन्‍हें अपने द्वारा संदेश को परिभाषित करने की अनुमति देता हैं।

Remote login & Telnet Concept

July 1, 20166,429 Views11 Min Read

Remote login 

वह Login जिससे एक User किसी Host Computer से एक नेटवर्क की सहायता से इस तरह Connect होता है जैसे User Terminal और Host Computer दोनो Directly जुडे हो और User Host Computer User को Keybord  और Mouse का प्रयोग करने की Facility भी उपलब्ध कराता है। Remote Login Desktop Sharing की तरह ही कार्य करता है। Remote Login की सहायता से हम Office या घर के Computer को (जो Host कहलाएगे) कही से भी Remote User बनकर Access कर सकते है।

Remote Login के लिये निम्न 3 Components की आवश्यकता होती है-

  1. Login Software
  2. Internet Connection
  3. Secure Desktop Sharing Network 

Remote login की आवश्यकता

1. Remote Login को कार्य करने के लिये दोनो होस्ट और रिमोट यूजर को एक ही डेस्कटाॅप शेयरिंग साॅफ्टवेयर Install किया हो।

2. Remote Login तभी कार्य करेगा जब Host Computer की Power On हो, Host Internet से जुडा हो तथा Host Computer पर Desktop शेयरिंग साॅफ्टवेयर Run हो रहा हो। Host Computer से जुडने के लिये User को Desktop शेयरिंग साॅफ्टवेयर का वो ही Version प्रयोग करना होगा जो Host Computer पर Run हो रहा है। इसके पश्चात् सही Session ID  और Password डालकर User Host Computer मे Remotely Login कर सकता है।

Login करने के पश्चात् User Host Computer के Keybord Control, Mouse Control सभी साॅफ्टवेयर और फाईलो को Access कर सकता है।

Telnet Concept

टेलनेट एक पुरानी इंटरनेट सुविधा है, जिसमे आप किसी दूर स्थित कम्प्यूटर मे लाॅग आॅन कर सकते है। दूसरे शब्दो मे यह आपको अपने कम्प्यूटर पर बैठे किसी दूर के कम्प्यूटर का उपयोग करने की सुविधा देता है। इसको रिमोट लाॅगिंग भी कहा जाता है। सामान्यतः कोई टेलनेट प्रोग्राम आपको दूसरे कम्प्यूटर के लिये एक पाठ्य आधारित विडों देता है। आपको उस सिस्टम के लिये एक लाॅगइन प्राॅम्ट दिया जाता है। यदि आपके सिस्टम पर पहुचंने की अनुमति है, तो आप उस पर ठीक उसी प्रकार कार्य कर सकते है, जैसे अपने कम्प्यूटर पर करते है। यह सुविधा उन लोगो के लिये बहुत उपयोगी है जो दूसरे कम्प्यूटरो पर ऐसा कार्य करना चाहते है, जो FTP आदि अन्य सुविधाओ के माध्यम से नही किया जा सकता है।

स्पष्ट है कि यह सुविधा सबके लिये खुली नही है। यह केवल अधिकृत लोगो को ही दी जाती है और प्रत्येक टेलनेट कम्प्यूटर के बाहरी उपयोगकर्ताओ को ऐसी अनुमति देने के अपने नियम होते है।


Internet Chatting

July 1, 20165,305 Views11 Min Read

Internet Chatting

चैटिंग इंटरनेट पर की जाने वाली एक रोचक क्रिया है। यह टेलीफोन पर बात करने के समान है। अंतर केवल यह है कि बोलने की जगह हम अपनी बात या संदेश की बोर्ड पर टाईप करते है, जो तत्काल ही प्राप्तकर्ता के माॅनीटर की स्क्रीन पर तुरंत ही दिया जाता है। तब प्राप्तकर्ता अपने की बोर्ड पर उसका उत्तर टाईप करता है, जो हमारे माॅनीटर की स्क्रीन पर तुरंत ही दिखा दिया जाता है। इस प्रकार बातचीत तब तक चलती रहती है। जब तक आप चाहते है। इस तरह की चैटिंग को टेक्स्ट चैट कहा जाता है

चैटिंग चैट समूहो मे की जाती है। किसी चैट समूह को चैनल भी कहा जाता है। चैनल समान्यतः विशेष विषयो पर केन्द्रित होते है जैसे-राजनीती, खेल, संगीत, फिल्म आदि। प्रत्येक चैनल का नाम ‘#’ चिन्ह से प्रारंभ होता है। उदाहरण के लिये #politics एक चैनल भी हो सकता है, जो राजनीति पर केन्द्रित हो। हम अपनी रूचि के चैट समूह या चैनलो को इंटरनेेट पर खोज सकते है। बहुत से प्रसिध्द व्यक्ति भी चैट समूहो मे शामिल होते है।

किसी चैट समूह मे शामिल होने वाले प्रत्येक व्यक्ति का एक उपनाम होता है। सामान्यतः लोग अपने असली नाम की जगह किसी उपनाम का उपयोग करते है। इसलिये हम अपनी वास्तविक पहचान बताये बिना सरलता से और स्वतंत्रता से चैटिंग कर सकते है। यदि कोई उपनाम ‘@’ चिन्ह से प्रारंभ हो रहा हो, जैसे -@robotman, तो वह किसी व्यक्ति के बजाय उस प्रोग्राम का नाम होता है, जो उस चैट समूह को संचालित या व्यवस्थित करता है।

चैटिंग आपके लिये मनोरंजक भी हो सकती है और समय कीबर्बादी भी। यह आपके ऊपर निर्भर करता है कि आप उसका किस रूप मे उपयोग कर रहे है। चैटिंग के लिये आपको ऐसे सर्वर पर लाॅग आॅन करना चाहिए, जो इसकी सुविधा देते है। ऐसी कई वेब साइट है, जो चैटिंग की सुविधा उपलब्ध कराती है। चैटिंग के लिये कुछ विशेष साॅफ्टवेयर भी उपलब्ध है, जिन्हे मैसेंजर कहा जाता है। आप उनमे लाॅग आॅन कर सकते है और अन्य व्यक्तियो से आॅनलाइन गपशप कर सकते है। चैट साॅफ्टवेंयर एक इंटरएक्टिव साॅफ्टवेयर होता है, अतः आप सरलता से चैटिंग कर सकते है। कुछ लोकप्रिय चैट साॅफ्टवेयरो के नाम निम्नलिखित है-
Yahoo Messanger
MSN Messanger
RedoffBol

Web Server

July 5, 201610,059 Views10 Min Read

Web Server

Web Server ब्राउजर को Web Page तथा Website उपलब्ध कराने में अहम भूमिका निभाता है। यह एक तरह की तकनीक है, जो हमें, वेब के साथ छोड़ती है। कई बडी कम्पनियों का अपना स्वयं का Web Server होता है, लेकिन अधिकांश निजी तथा छोटी कम्पनियाँ वेब सर्वर किराये पर लेती है। यह सुविधा उसे इन्टरनेट एक्सेस कम्पनी द्वारा प्रदान की जाती है। बिना सर्वर के कोई वेब नहीं हो सकता है। यहाँ इन्टरनेट पर लाखों वेब सर्वर हैं और प्रत्येक में हजारों Home Page शामिल रहते हैं। 

Web server software सारे प्रचलित आँपरेटिंग सिस्टम पर उपलब्ध रहता है। इसमें Unit के विण्डोज एन. टी. सर्वर (NT Workstation) तथा एनं. टी. वर्कस्टेशन (Windows NT Server) शामिल हैं। वेब सर्वर Software, Hardware तथा Operating System के संयोग पर आधारित है, जो अपने-अपने सर्वर प्लेटफॉर्म के लिए चुनाव में आसानी से रन करता है।
Windows पर आधारित कुछ वेब सर्वर निम्न हैं-
1. microsoft internet information server
2. Netscape fast track server
3. netscape enterprise server
4. Open market scure webserver
5. purveyor intro server

Features of Web Server

वेब सर्वर को वेबसाइट होस्टिंग के लिए बनाया जाता है अतः इनकी मुख्य विशेषता वेबसाइट होस्टिंग इन्वायरमेंट बनाना तथा इसे मेंटेन करना है अधिकतर वेब सर्वर निम्न विशेषताएं रखते हैं=

  • वेबसाइट बनाने की सुविधा|
  • लॉक फाइल सेटिंग को कॉन्फ़िगर करने की सुविधा (लॉक फाइल ट्रैफिक के विश्लेषण आदि कार्य करने के काम आता है)
  • वेबसाइट या डायरेक्टरी सुरक्षा को कॉन्फ़िगर करना|
  • एफ़टीपी साइट बनाना(एफ़टीपी साइट के द्वारा यूजर फाइल को साइट पर अपलोड कर सकते हैं एवं साइट से डाउनलोड कर सकते हैं)
  • एरर पेज को कॉन्फ़िगर करना इसके द्वारा यूजर फ्रेंडली एरर मैसेज साइड पर डिस्प्ले किए जाते हैं जैसे यदि यूजर ऐसे पेज को एक्सेस करने की रिक्वेस्ट करता है जो उपलब्ध नहीं है तो “404 page not found error” पेज पर प्रदर्शित हो जाती हैं|
  • डिफ़ॉल्ट डॉक्यूमेंट को निर्धारित करना (ऐसा वेब पेज जब डिस्प्ले किया जाता है तब यूज़र कोई पेज स्पेसिफिक नहीं करता किसी वेबसाइट का होम पेज साधारणतया डिफॉल्ट पेज होता है)

वेब स्पेस क्या हैं?

March 20, 2019742 Views16 Min Read

वेब स्पेस क्या हैं? (What is Web Space?)

होस्ट सर्वर में स्पेस का अर्थ है सर्वर पर वेबसाइट की होस्टिंग के लिए उपलब्ध डिस्क स्पेस। डिस्क स्पेस वेबसाइट की सामग्री पर निर्भर करता है। होस्टिंग कंपनियां बड़ी वेबसाइटों की होस्टिंग के लिए अनलिमिटेड डिस्क स्पेस प्रदान करती हैं जिन्हें उच्च पैकेज की आवश्यकता होती है।

प्रत्येक वेबसाइट में फाइल, चित्र, डेटाबेस और ईमेल जैसी वेबसाइट सामग्री सर्वर पर स्टोर करने के लिए आवश्यक स्थान को होस्टिंग स्पेस या वेब होस्टिंग डिस्क स्पेस कहा जाता है।

प्रत्येक वेब होस्टिंग कंपनियां ग्राहकों के लिए अलग-अलग डिस्क स्पेस होस्टिंग प्लान प्रदान करती हैं, आप एक असीमित डिस्क स्पेस होस्टिंग की खोज भी कर सकते हैं, ताकि डिस्क स्पेस के मुद्दों के बारे में चिंता करने की आवश्यकता न हो, लेकिन यह सुनिश्चित करें कि आप वास्तविक सामग्री के लिए बैकअप और स्टोरेज के लिए डिस्क स्थान का उपयोग कर रहे हैं|

वेब स्पेस, जिसे स्टोरेज स्पेस या डिस्क स्पेस के रूप में भी जाना जाता है, आम तौर पर एक वेब सर्वर पर स्पेस की मात्रा को संदर्भित करता है जो वेब होस्टिंग कंपनियों द्वारा वेबसाइट मालिकों को आवंटित किया जाता है। यह आपकी वेबसाइट से संबंधित सभी टेक्स्ट फ़ाइलों, इमेज, स्क्रिप्ट, डेटाबेस, ईमेल और अन्य फ़ाइलों की कुल मात्रा से बना है।

Web space functions

वेब स्पेस दो बुनियादी उद्देश्यों की पूर्ति कर सकता है। पहली यह आपको वर्ल्ड वाइड वेब पर फ़ाइल जानकारी (HTML फ़ाइलों, छवि फ़ाइलों, आदि) को अपलोड करने की अनुमति देता है जहां यह ग्लोबल स्तर पर उपलब्ध होगी। दूसरा, यह रिसोर्स आपको विभिन्न फ़ाइलों को स्टोर करने में सक्षम बनाता है जो वेबसाइट विज़िटर को दिखाई नहीं देते हैं लेकिन आपकी वेबसाइट के उचित कामकाज के लिए एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

आपकी वेबसाइट पर स्थित सर्वर पर वेब स्पेस लेने वाली कुछ लोकप्रिय ‘अदृश्य’ फाइलें PHP फाइलें, डेटाबेस फाइलें और CGI प्रोग्राम फाइलें हैं। PHP फ़ाइलों को सर्वर पर एक .php एक्सटेंशन के साथ स्टोर किया जाता है और विभिन्न महत्वपूर्ण ऑन-साइट गतिविधियों के लिए उपयोग किया जाता है जैसे कि ऑनलाइन स्टोर के लिए ऑर्डर फॉर्म प्रोसेसिंग, पोल रिजल्ट मैनेजमेंट आदि। डेटाबेस, बदले में, स्टोर कोड जैसे उत्पाद कोड, कस्टमर डिटेल इत्यादि, जो PHP स्क्रिप्स और CGI कार्यक्रमों द्वारा प्राप्त किया जाता है। CGI प्रोग्राम ऑनलाइन रूपों से डेटा इनपुट को प्रोसेसिंग करने के लिए कार्य करते हैं, जिसके लिए आवश्यक है कि एकत्रित जानकारी वेबसाइट के सर्वर पर स्टोर की जाए।

उल्लेख के लायक फाइलों पर कब्जा करने वाली अन्य वेब स्पेस में बाह्य रूप से लिंक सीएसएस फाइलें और जावास्क्रिप्ट फाइलें शामिल हैं। बाहरी CSS फाइलें, जो वेब पेज के स्टाइल तत्वों को परिभाषित करने के लिए जिम्मेदार हैं, वेब होस्टिंग सर्वर पर स्टोर होती हैं और प्रत्येक वेब पेज से जुड़ी होती हैं। जावास्क्रिप्ट फ़ाइलों को भी जरूरत पड़ने वाले वेब पेजों से जोड़ा जाता है, जो डायनेमिक ड्रॉप-डाउन मेनू, विज़िटर काउंटर आदि के आधार पर झूठ बोलते हैं, यानी वे एक वेबसाइट की अन्तरक्रियाशीलता बढ़ाने के लिए काम करते हैं।

Web space measurement

आमतौर पर वेब स्पेस को पर्सनल कंप्यूटर और वेब सर्वर दोनों पर बाइट्स, किलोबाइट्स (1,000 बाइट्स), मेगाबाइट्स (1,000 किलोबाइट्स) और गीगाबाइट्स (1,000 मेगाबाइट्स) में मापा जाता है। चूंकि डिस्क स्पेस हाल ही में तुलनात्मक रूप से सस्ते वेब होस्टिंग रिसोर्स बन गया है, इसलिए इसे आमतौर पर मानक योजनाओं के साथ गीगाबाइट मात्रा में पेश किया जाता है। मेगाबाइट को “MB” और गीगाबाइट को “GB” के साथ दर्शाया जाता है।

What is Portal

July 11, 20182,913 Views9 Min Read

Portal

वेबसाइट्स के समूह को पोर्टल कहा जाता है। पोर्टल का शाब्दिक अर्थ होता है प्रवेशद्वार। पोर्टल वास्तव में स्वयं भी एक वेबसाइट होती है, जिससे दूसरे कई अन्य संबंधित वेबसाइट पर पहुंचा जा सकता है। इंटरनेट से जुड़ने पर कई प्रकार के पोर्टल मिलते हैं। पोर्टल्स पर विभिन्न स्त्रोतों से जानकारियां जुटाकर व्यवस्थित रूप में उपलब्ध करायी जाती हैं। इसके साथ ही पोर्टल पर कई तरह की सेवाएं भी दी जाती हैं|

जैसे- कई पोर्टल यूजर को सर्च इंजन की सुविधा देते है,इसके अलावा, कम्युनिटी चैट फोरम, होम पेज,और ईमेल की सुविधाएं देते हैं। पोर्टल पर सर्च इंजन ,सब्जेक्ट डायरेक्ट्री, और अन्य सर्विस जैसे- न्यूज़ , इंटरटेनमेंट , स्टॉक , मार्केट ,शॉपिंग आदि की लिंक होती है। इन लिंक के द्वारा आप उस वेबसाइट तक पहुच सकते हो | पोर्टल पर समाचार, स्टॉक मूल्य और फिल्म आदि की गपशप भी देख सकते हैं। बहुत से पोर्टल्स को यूजर अपनी आवश्यकता के अनुसार कस्टमाइज भी कर सकता है |

पोर्टल बड़े सर्च इंजन और ब्राउज़र प्रोवाइडर द्वारा प्रायोजित (Sponsored) होते है। पोर्टल साइट पर सभी इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर अपना ध्यान दो सर्विस पर अधिक लगाते है- मनोरंजन और इनफार्मेशन। वेब साइट के पहले पेज पर यूजर के लिए ये दोनों सर्विस उपलब्ध होती है । साधारण अर्थो में कह सकते है की पोर्टल वो वेब साइट होती है जो यूजर को मनोरंजन और इनफार्मेशन की सर्विस प्रोवाइड कराती है और जहाँ यूजर इंटरनेट पर अधिक अनुभव प्राप्त करता है |
कुछ प्रचलित पोर्टल्स के नाम निम्नलिखित है-

  • aol.com
  • netscape.com
  • yahoo.com
  • excite.com

Features of Portal

पोर्टल की विशेषताये निम्नलिखित है –

  • पोर्टल की सहायता से अन्य वेब साइट्स से इनफार्मेशन प्राप्त की जा सकती है।
  • पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करने की व्यवस्था सरल होती है।
  • पोर्टल वेब साइट से जुड़ने के लिए एक गेट की भांतिकार्य करते है।
  • पोर्टल वेब होस्टिंग की सुविधा प्रदान करते है।
  • पोर्टल पर लगभग सभी प्रकार की मशीने जुड़ सकती है।

Website Publishing

December 30, 20173,354 Views15 Min Read

Website Publishing

वेबसाइट पब्लिशिंग का मतलब है वेबसाइट को ऑनलाइन करना, जिसको हम निम्नलिखित steps में विभाजित कर सकते हैं|

  1. वेबसाइट को ऑनलाइन करने के पहले हमें वेबसाइट को design और develop करवाना होगा जिसके लिए हम Web Developers से संपर्क करेंगे|
  2. हम डोमेन रजिस्टर करवाएंगे जिसके लिए हम डोमेन रजिस्ट्रार से संपर्क करेंगे जो हमें वांछित डोमेन रजिस्टर करके, डोमेन का कण्ट्रोल पैनल और उससे सम्बंधित login details देंगे|
  3. फिर हम hosting कंपनी से संपर्क करेंगे जो हमें वेब स्पेस प्रदान करेंगे और इसके साथ वो कंपनी आपको login details और Nameserver देगी, इस nameserver को हम डोमेन के कण्ट्रोल पैनल पर login करके अपडेट कर देंगे|
  4. उपरोक्त steps को कम्पलीट करने के बाद आपकी वेबसाइट Live हो जाएगी|

Domain Name Registration

वेबसाइट तैयार करने के बाद इंटरनेट पर इसकी उपस्थिति को सुनिश्चित करने के लिए साइट को अपने डोमेन नेम की आवश्यकता होती है। यूजर इस डोमेन के नाम का प्रयोग कर इंटरनेट पर आपकी द्वारा उपलब्ध उत्पादों तथा सेवाओं को ढूंढने के लिए करते हैं। उदाहरण के तौर पर कंप्यूटर https://computerhindinotes.com पर आप हमारे द्वारं बनाये गए हिंदी नोट्स प्राप्त कर सकते हैं।

डोमेन के नाम का रजिस्ट्रेशन हम कई विभिन्न कंपनियों के द्वारा करवा सकते हैं। ऐसी कंपनियां जो डोमेन के नाम का रजिस्ट्रेशन करवाती हैं उन्हें डोमेन रजिस्ट्रार कहा जाता है। डोमेन के नाम का रजिस्ट्रेशन मुख्य रूप से वही कंपनियां अपने माध्यम से करवाती हैं जिनके होस्ट सरवर पर आप अपना वेबसाइट अपलोड करते हैं। पर पिछले कुछ समय में इस व्यवस्था में बदलाव हुआ है, अब डोमेन रजिस्टर और वेब स्पेस खरीदने के लिए आप अलग अलग कंपनी को चुन सकते हैं|

कुछ लोकप्रिय डोमेन रजिस्ट्रार के नाम निम्नलिखित है।

  • Google
  • GoDaddy
  • NameCheap
  • ResellerClub
  • Netfirms

इनके आलावा भी लाखों ऐसी कंपनी है जिनसे आप अपना डोमेन रजिस्टर करवा सकते हैं |

जब हम किसी डोमेन रजिस्ट्रार की सहायता से अपना डोमेन रजिस्टर कराते हैं तो वह हमें एक निश्चित राशि के बदले में हमको डोमेन कंट्रोल पैनल और उसका यूजर नेम, पासवर्ड उपलब्ध कराता है। इस यूजर नेम और पासवर्ड की सहायता से हम डोमेन कंट्रोल पैनल में login करके वेब स्पेस प्रोवाइडर द्वारा दिए गए NameServer को डोमेन के साथ लिंक कर सकते हैं। वेबसाइट को चालू करने के लिए यह एक अति  महत्वपूर्ण कार्य होता है |

Web-space Registration

आजकल कई कंपनियां अपने वेब सर्वर पर यूजर की साइट के लिए स्थान उपलब्ध कराती हैं जो कंपनी सर्वर पर स्थान उपलब्ध करते हैं उन्हें होस्ट सर्वर कहते हैं, ये कंपनी कई तकनीकी सुविधाएं उपलब्ध कराती हैं जैसे कि सॉफ्टवेयर तकनीकी सहयोग इत्यादि। एक बार जब आप अपने डोमेन के लिए वेब स्पेस का रजिस्ट्रेशन करा लेते हैं तो उसके पश्चात आप अपनी साइट की फाइलों को FTP या होस्टिंग कण्ट्रोल पैनल की सहायता अपलोड कर सकते हैं, इस के बाद ही इन्टरनेट के माध्यम से यूजर आपकी साइट को एक्सेस कर सकते हैं|

कुछ कंपनी जो अपने सर्वर पर स्थान उपलब्ध कराती हैं वह निम्नलिखित हैं

  • GoDaddy
  • Bigrock
  • BlueHost
  • HostGatorcds
  • CyberDairy Solutions

जब जब हम किसी भी होस्टिंग प्रोवाइडर से अपनी वेबसाइट के लिए स्पेस खरीदते हैं तो हमें एक होस्टिंग  कंट्रोल पैनल मिलता है जिसकी सहायता से हम अपनी साइड के कंटेंट को कंट्रोल कर सकते हैं।

कुछ लोकप्रिय कण्ट्रोल पैनल के नाम निम्नलिखित हैं|

  • cPanel
  • Plesk
  • Webmin
  • zPanel

डोमेन नाम क्या हैं?

February 23, 20191,529 Views29 Min Read

डोमेन नाम क्या हैं? (What is Domain Name?)

डोमेन नाम आपकी वेबसाइट का नाम है। डोमेन नाम वह पता है जहां इंटरनेट यूजर आपकी वेबसाइट तक पहुंच सकते हैं। इंटरनेट पर वेबसाइट खोजने और पहचानने के लिए डोमेन नाम का उपयोग किया जाता है। कंप्यूटर IP address का उपयोग करते हैं, जो संख्या की एक श्रृंखला है। डोमेन नाम अक्षरों और संख्याओं का कोई भी संयोजन हो सकता है, और इसका उपयोग विभिन्न डोमेन नाम एक्सटेंशन, जैसे .com, .net आदि में किया जाता है।

उपयोग करने से पहले डोमेन नाम पंजीकृत होना चाहिए। प्रत्येक डोमेन नाम यूनिक होता है। हर वेबसाइट का डोमेन नाम अलग अलग होता हैं दो वेबसाइट का डोमेन नाम एक जैसा नहीं होता हैं यदि कोई www.Computerhindinotes.com टाइप करता है, तो यह आपकी वेबसाइट पर जाएगा किसी और वेबसाइट पर नहीं।

 

डोमेन नाम दुनिया भर में उपयोग किए जाते हैं, विशेष रूप से नेटवर्क और डेटा संचार की दुनिया में। निम्नलिखित बिंदु बताते हैं कि वे कैसे काम करते हैं और उनका उपयोग कैसे किया जाता है:

  • डोमेन नाम के दो भाग होते हैं जिन्हें एक डॉट द्वारा अलग किया जाता है, जैसे example.com।
  • डोमेन नाम सिंगल आईपी एड्रेस या आईपी एड्रेस के समूह की पहचान करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।
  • एक होस्ट या संगठन वैकल्पिक नाम के रूप में डोमेन नाम का उपयोग कर सकते हैं क्योंकि डोमेन नाम अल्फ़ान्यूमेरिक (सभी संख्याओं के विपरीत) हैं, जिससे उन्हें याद रखना आसान हो जाता है।
  • किसी वेबसाइट की पहचान करने के लिए URL के हिस्से के रूप में डोमेन नाम का उपयोग किया जाता है।
  • डॉट का अनुसरण करने वाला हिस्सा Top level Domain (TLD) या समूह है, जिसका डोमेन नाम उदाहरण के लिए, .gov अमेरिकी सरकार के डोमेन के लिए TLD है।

आपको एक डोमेन नाम की आवश्यकता क्यों है (Why do you need a domain name)

इंटरनेट पर, आपका डोमेन नाम आपकी वेबसाइट की विशिष्ट पहचान है। किसी भी व्यक्ति, व्यवसाय या संगठन को इंटरनेट उपस्थिति की योजना बनाकर डोमेन नाम में निवेश करना चाहिए। अपना स्वयं का डोमेन नाम, वेबसाइट और ईमेल पते होने से आपको और आपके व्यवसाय को प्रोफेशनल रूप मिलता हैं। व्यवसाय के लिए डोमेन नाम पंजीकृत करने का एक और कारण कॉपीराइट और ट्रेडमार्क की रक्षा करना, साख बनाना, ब्रांड जागरूकता बढ़ाना और सर्च इंजन स्थिति बनाना है।

डोमेन नाम वेबसाइट के उद्येश्य को पहचानता है। उदाहणार्थ, यहाँ .com डोमेन नाम बताता है कि यह एक व्यापारिक साइट है। इसी प्रकार लाभ न कमाने वाले संगठन .org तथा स्कूल तथा विश्वविद्यालय आदि .edu  डोमेन नामो का उपयोग करते है। नीचे दी गई सूची मे URL मे सामान्यतया प्रयोग किये जाने वाले डोमेन नाम और उनका पूरा नाम बताया गया है।

Abbreviation (Extensions)
Full Forms
.comCommercial Internet Sites
.netInternet Administrative Site
.orgOrganization Site
.eduEducation Sites
.firmBusiness Site
.govGovernment Site
.intInternational Institutions
.milMilitary Site
.mobiMobile Phone Site
.intInternational Organizations site
.ioIndian Ocean (British Indian Ocean Territory)
.milU.S. Military site
.govGovernment site
.storeA Retail Business site
.webInternet site
.inIndia
.auAustralia
.aeArab Emirates
.saSaudi Arabia
.usUnited States
.ukUnited Kingdom
.khCambodia
.thThailand
.cnChina
.vnVietnam
.jpJapan
.sgSingapore
.nzNew Zealand
.myMalaysia

डोमेन नाम पंजीकरण (Domain Name Registration)

आप डोमेन नाम के रूप में किसी शब्द या वाक्यांश का उपयोग कर सकते हैं। यदि डोमेन किसी कंपनी के लिए है, तो आप अपनी कंपनी का नाम डोमेन में रख सकते हैं, इससे आपके ग्राहकों के लिए आपको इंटरनेट पर ढूंढना आसान हो जाता है।

यद्यपि एक लंबा डोमेन याद रखना कठिन है, इसमें अधिक कीवर्ड शामिल हो सकते हैं, जो महत्वपूर्ण है क्योंकि कुछ खोज इंजन किसी डोमेन नाम में कीवर्ड का उपयोग खोज एल्गोरिदम के हिस्से के रूप में करते हैं। लेकिन उन डोमेन नामों से सावधान रहें जो बहुत लंबे हैं|

वेबसाइट तैयार करने के बाद इंटरनेट पर इसकी उपस्थिति को सुनिश्चित करने के लिए साइट को अपने डोमेन नेम की आवश्यकता होती है। यूजर इस डोमेन के नाम का प्रयोग कर इंटरनेट पर आपके द्वारा उपलब्ध उत्पादों तथा सेवाओं को ढूंढने के लिए करते हैं। उदाहरण के तौर पर https://computerhindinotes.com पर आप हमारे द्वारं बनाये गए हिंदी नोट्स प्राप्त कर सकते हैं।

डोमेन के नाम का रजिस्ट्रेशन हम कई विभिन्न कंपनियों के द्वारा करवा सकते हैं। ऐसी कंपनियां जो डोमेन के नाम का रजिस्ट्रेशन करवाती हैं उन्हें ‘डोमेन रजिस्ट्रार’ कहा जाता है। डोमेन के नाम का रजिस्ट्रेशन मुख्य रूप से वही कंपनियां अपने माध्यम से करवाती हैं जिनके होस्ट सर्वर पर आप अपना वेबसाइट अपलोड करते हैं। पर पिछले कुछ समय में इस व्यवस्था में बदलाव हुआ है, अब डोमेन रजिस्टर और वेब स्पेस खरीदने के लिए आप अलग अलग कंपनी को चुन सकते हैं|

कुछ लोकप्रिय डोमेन रजिस्ट्रार के नाम निम्नलिखित है।

  • Google
  • GoDaddy
  • NameCheap
  • ResellerClub
  • Netfirms

इनके आलावा भी लाखों ऐसी कंपनी है जिनसे आप अपना डोमेन रजिस्टर करवा सकते हैं |

जब हम किसी डोमेन रजिस्ट्रार की सहायता से अपना डोमेन रजिस्टर कराते हैं तो वह हमें एक निश्चित राशि के बदले में डोमेन कंट्रोल पैनल और उसका यूजर नेम, पासवर्ड उपलब्ध कराता है। इस यूजर नेम और पासवर्ड की सहायता से हम डोमेन कंट्रोल पैनल में login करके वेब स्पेस प्रोवाइडर द्वारा दिए गए Name Server को डोमेन के साथ लिंक कर सकते हैं। वेबसाइट को चालू करने के लिए यह एक अति  महत्वपूर्ण कार्य होता है |

वेब-स्पेस पंजीकरण (Web-space Registration)

आजकल कई कंपनियां अपने वेब सर्वर पर यूजर की साइट के लिए स्थान उपलब्ध कराती हैं जो कंपनी सर्वर पर स्थान उपलब्ध करते हैं उन्हें ‘होस्ट सर्वर’ कहते हैं, ये कंपनी कई तकनीकी सुविधाएं उपलब्ध कराती हैं जैसे कि सॉफ्टवेयर तकनीकी सहयोग इत्यादि। एक बार जब आप अपने डोमेन के लिए वेब स्पेस का रजिस्ट्रेशन करा लेते हैं तो उसके पश्चात आप अपनी साइट की फाइलों को FTP या होस्टिंग कण्ट्रोल पैनल की सहायता से अपलोड कर सकते हैं, इसके बाद ही इन्टरनेट के माध्यम से यूजर आपकी साइट को एक्सेस कर सकते हैं|

कुछ कंपनी जो अपने सर्वर पर स्थान उपलब्ध कराती हैं वह निम्नलिखित हैं

  • GoDaddy
  • Bigrock
  • BlueHost
  • HostGatorcds
  • CyberDairy Solutions

जब हम किसी भी होस्टिंग प्रोवाइडर से अपनी वेबसाइट के लिए स्पेस खरीदते हैं तो हमें एक होस्टिंग  कंट्रोल पैनल मिलता है जिसकी सहायता से हम अपनी साइड के कंटेंट को कंट्रोल कर सकते हैं।

कुछ लोकप्रिय कण्ट्रोल पैनल के नाम निम्नलिखित हैं|

  • cPanel
  • Plesk
  • Webmin
  • zPanel
I BUILT MY SITE FOR FREE USING